लॉकडाउन के बाद भी दिल्ली पर मंडरा रहा है कोरोना का खतरा, जानें क्या है वजह
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को जानकारी दी कि पिछले 40 घंटों में यहां कोरोना वायरस का कोई नया मामला नहीं आया है। मगर उन्होंने साथ में एहतिहात बरते के लिए भी कहा, उन्होंने कहा कि लड़ाई जारी है। एक तरफ जहां दिल्ली पूरी तरह लॉकडाउन है, वहीं लॉकडाउन के दूसरे दिन भी डीटीसी बसों में लोगों की भीड़  देखने को मिली। बसों

में अंतराल बढने की वजह से इंतजार के बाद आने वाली बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ने से संक्रमण का खतरा कम नहीं हो रहा है। ऐसे में बेहद जरूरी काम होने पर ही बसों में सफर करें। इस दौरान अधिक से अधिक सावधानियां यात्री खुद बरतें ताकि संक्रमण के खतरे को टाला जा सके। 
बसों की कम संख्या होने की वजह से कुछ रूट पर यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण सामाजिक दूरियां बनाने की कोशिशें भी नाकाफी साबित हो रही हैं। प्रदेश सरकार ने 25 फीसदी बसें सड़कों पर उतारी थी, लेकिन बसों के संचालन के लिए अंतराल बढ़ाए जाने की वजह से कुछ रूट पर भीड़ बनी रही। " alt="" aria-hidden="true" />

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कोरोना वायरस को लेकर मास्क सहित तमाम सुरक्षा उपकरणों की मांग को लेकर हर अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में मंगलवार को दिल्ली एम्स ने एक सर्कुलर जारी करते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को एन-95 मास्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
आज भारत और राज्य सरकार व प्रशासन को कि नर्सिंग की अहमियत और महत्ता भी समझ आ गयी ।। नर्सिंग कर्मचारियों के द्वारा किए गए इन साहसिक कार्यों को देखते हुए , जिस प्रकार सेना में वीरता का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र (भारतीय सम्मान)प्रदान किया जाता है उसी प्रकार स्वास्थ्य योद्धा नर्सिंग कर्मचारियों को भी कर्मवीर चक्र(भारतीय सम्मान) या कर्मवीर रत्न जैसी उपाधि उसे अलंकृत किया जाना चाहिए,जिससेउनके परिवार और अन्य लोगो को प्रेरणा मिल सके। "राकेश बडगुजर"
साथ ही एम्स प्रबंधन ने कहा है कि एक मास्क को 20 दिन तक इस्तेमाल करना है। इसे चार बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है। डॉक्टरों व स्टाफ कि शिकायत थी कि कोरोना वायरस का उपचार कर रहे डॉक्टरों को मास्क भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
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